गंगोत्री धाम की मान्यताये ! (Beliefs of Gangotri Dham)
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रसिद्ध चार धामों में से एक धाम “गंगोत्री धाम अर्थात गंगोत्री धाम की मान्यताओ” के बारे में जानकारी देने वाले है , यदि आप गंगोत्री धाम की मान्यताओ के बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़े !
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गंगोत्री धाम की मान्यताये ! (Beliefs of Gangotri Dham)
उत्तराखंड प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों और देवताओ के स्थलों का धाम है | हिन्दुओ के धर्म ग्रन्थ के अनुसार यमुनोत्री , गंगोत्री , केदारनाथ और बद्रीनाथ हिन्दुओ की सबसे प्राचीन एवम् धार्मिक स्थान रहा है | हिन्दू धर्म की मान्यताओ के अनुसार चारधाम यात्रा के दर्शन करने से जीवन-मरण एवम् पाप से मुक्ति की प्राप्ति होती है | ऐसे मे आज इस पोस्ट में हम आपको “गंगोत्री धाम” जो कि चार धाम यात्रा का दूसरा पडाव है |उसके सम्बन्ध में “गंगोत्री धाम की मान्यताओं” से अवगत कराने वाले है |
गंगोत्री धाम की मान्यताये :-
1. चार धाम यात्रा में गंगोत्री धाम के बारे में यह मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर देवी गंगा ने सर्वप्रथम गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया था ।
2. गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर गोमुख स्थित है | यह गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना है | इस जगह के बारे में यह कहते है कि इस जगह के बर्फीले जल में स्नान करने से पाप धुल जाते है |
3. गंगोत्री धाम की मान्यता यह भी है कि पांडवों ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गए अपने परिजनों की आत्मिक शांति के निमित इसी स्थान पर आकर एक महान देव यज्ञ का अनुष्ठान किया था। जिससे की युद्ध में मारे गए परिजनों को मुक्ति मिल सके |
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गोत्री धाम में गंगा नदी के प्रवाह की कहानी :-
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भारतवर्ष में राजा महाराज सागर का राज था और उनके 60,000 पुत्र थे | मान्यता के अनुसार राजा को अश्व्मेध यज्ञ करवाना था | इसमें उनका घोडा जहा जहा गया | उनके 60,000 बेटो ने उन जगहों को अपने आधिपत्य में लेते गए | इससे देवताओं के राजा इंद्र चिंतित हो गए | तो ऐसे में उन्होंने घोड़े को पकड़कर कपिल मुनि के आश्रम में बाध दिया | राजा सागर के बेटो ने घोड़े को ऋषि मुनि के आश्रम में बधा हुआ देखा | तो राजा सागर के बेटो ने मुनिवर का अनादर करते हुए घोड़े को छुड़ा ले गए |
जिससे क्रोधित महर्षि ने शाप देकर उन्हें भष्म कर दिया व उनकी आत्मा मोक्ष से वंचित रह गयी। महाराज की कई बार विनती करने के पश्चात महर्षि ने उन्हे कहा कि शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता है , लेकिन उपाय किया जा सकता है। उन्होने महाराजा सागर को बताया कि यदि स्वर्ग से दिव्य नदी गंगा को धरती पर लाया जाये तो उनके पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद उन्होने अपनी कड़ी तपस्या करी और दिव्य गंगा माँ को धरती पर ले आए। गंगा के प्रचंड स्वरूप के कारण विनाश से धरती को बचाने के लिए भगवान शिव ने गंगा को पहले अपनी जटा में धारण करा फिर धरती की ओर प्रवाहित किया।
5. गंगोत्री धाम से गंगा नदी का जल केदरनाथ में भगवान शिव के समक्ष पेश किया जाता है | गंगा नदी का जल बद्रीनाथ धाम में श्रद्धा समारोह के दौरान प्रयोग किया जाता है | गंगोत्री के पानी को सभी श्रधालु घर ले जाते है और सभी को प्रसाद के रूप में बाटते है |( गंगोत्री धाम की मान्यताये ! )
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