यमुनोत्री धाम की मान्यताये (Beliefs of Yamunotri Dham) !!
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रसिद्ध धाम ” यमुनोत्री धाम अर्थात यमुनोत्री धाम की मान्यताये “ के बारे में जानकारी देने वाले है , यदि आप यमुनोत्री धाम की मान्यताये के बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े !
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यमुनोत्री धाम की मान्यताये (Beliefs of Yamunotri Dham)
यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा का सर्वप्रथम पडाव है | यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बरकोट से करीब 40 किलोमीटर दूर गढ़वाल हिमालय में स्थित है |
यमुनोत्री धाम की मान्यताओ में से जो प्रमुख मान्यता है वो निचे निम्न है :-
1. हिन्दू धर्म के अनुसार यमुना नदी को अति पवित्र नदियों में से एक माना जाता है |
2. यमुनोत्री धाम की मान्यताओं के अनुसार हिन्दू मान्यता में देवी यमुना और यम (मृत्यु देवता) भगवान सूर्य और देवी संध्या की दो संताने थी।
यमुनोत्री धाम में स्थित यमुना जल पवित्र क्यों माना जाता है ?
यमुनोत्री धाम की मान्यता यह है कि देवी संध्या , सूर्य की भीषण गर्मी को सहन नहीं कर पा रही थी | तत्पश्चात यम ने “छाया” नाम का पुतला बनाकर उसको जगह दे दी। एक दिन यम ने छाया को अपने पैर से मारने की कोशिश की तो क्रोधित “छाया” ने यम को अभिशाप दिया कि तुम्हारा पैर एक दिन गिर जाएगा।
यमुना ने अपने भाई यम से वरदान के रूप में नदियों के सुरक्षित जल की मांग की, जिससे किसी की पानी पीने के अभाव के कारण मृत्यु न हो व मोक्ष (स्वर्ग) की प्राप्ति हो इसलिए यमुनोत्री धाम उद्गम स्थल के निकट स्थित पर्वत का नाम भगवान सूर्य के नाम पर रखा गया है | जिन्हें कलिंदा भी कहते हैं।
यमुना नदी के जल की मान्यता यह है कि यमुनोत्री धाम से यमुना नदी का एकत्रित जल को घर में छीटे मारने से वास्तु दोषों से मुक्ति मिल जाती है |
और ऐसा भी कहा जाता है की जो कोई भी माँ यमुना के जल मे स्नान करता है वह आकाल म्रत्यु के भय से मुक्त होता है और मोक्ष (स्वर्ग) प्राप्त करता है |
यमुनोत्री धाम की मान्यताओ के साथ साथ यमुनोत्री धाम का इतिहास के बारे मे भी जरुर जाने |
यमुनोत्री धाम में स्थित “सूर्यकुंड”
प्रसिद्ध सूर्यकुंड के बारे में यह कहा जाता है कि बेटी (यमुना) को आशीर्वाद देने के लिए भगवान सूर्य ने गर्म जलधारा का रूप धारण किया | श्रद्धालु सूर्यकुंड में चावल और आलू को कपडे में बांधकर कुछ समय तक छोड़ देते है | जिससे चावल और आलू पक जाता है | यात्री इस पके हुए चावल और आलू को प्रसाद स्वरुप अपने साथ ले जाते है | यह माना जाता है कि प्रसाद में यमुना देवी की कृपा समाहित हो जाती है |
उम्मीद करते है कि आपको “यमुनोत्री धाम की मान्यताओ” के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा |
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