Chandi Devi Temple , Haridwar !! (चंडी देवी मंदिर)

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में हरिद्वार जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर “चंडी देवी मंदिर” के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है , यदि आप चंडी देवी मंदिर के बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े |

Chandi Devi Temple , Haridwar !! (चंडी देवी मंदिर)





Chandi Devi Temple Haridwarचंडी देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है, जो कि चंडी देवी को समर्पित है | यह मंदिर हिमालय की दक्षिणी पर्वत श्रंखला के पहाडियों के पूर्वी शिखर पर मौजूद नील पर्वत के ऊपर स्थित है | यह मंदिर भारत में स्थित प्राचीन मंदिर में से एक है | चंडी देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है । चंडी देवी मंदिर का निर्माण 1929 में सुचात सिंह , कश्मीर के राजा ने अपने शासनकाल के दौरान करवाया था परंतू मंदिर में स्थित चंडी देवी की मुख्य मूर्ति की स्थापना 8वी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी , जो कि हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पुजारियों में से एक है | इस मंदिर को “नील पर्वत” तीर्थ के नाम से जाना जाता है |

चंडी देवी मंदिर को भक्तो द्वारा सिद्धपीठ के रूप में माना जाता है , जो कि पूजा का एक स्थान है , जहाँ सभी की मनोकामना पूर्ण होती है | यह हरिद्वार में स्थित तीन पीठो में से एक है , दूसरा मनसा देवी मंदिर है और तीसरा माया देवी मंदिर है | विशेष उत्सव जैसे चंडी चौडस और नवरात्र और हरिद्वार के कुम्भ मेले के दौरान कई हज़ार श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मनोकामना को पूर्ण करने आते है | हरिद्वार में आने वाले तीर्थ यात्रियों को इस मंदिर में एक बार दर्शन केर लिए जरुर आना चाहिए | चंडी देवी मंदिर के निकट अंजना का मंदिर स्थित है , जो कि हनुमान जी की माता थी | चंडी मंदिर आने वाले सभी श्राधालू इस मंदिर में जरुर जाते है | नील पर्वत के आधार पर निल्केश्वर मंदिर भी है |

कहा जाता है कि मनसा और चंडी देवी माता , पार्वती के दो स्वरुप है , जो गंगा के तटो के सामने मौजूद है | ये मान्यता हरियाणा के पंचुला में स्थित माता मनसा देवी के मंदिर के लिए भी मान्य है |

चंडी देवी की कथा !!

चंडी देवी को “चंडिका” के नाम से भी जाना जाता है , जो कि इस मंदिर की ईष्टदेव है | चंडिका देवी की उत्पत्ति की कहानी कुछ इस प्रकार है , प्राचीन समय में दानव राजा शुम्भ और निशुम्भ ने स्वर्ग के देव राज इंद्र के राज्य पर कब्जा कर लिया था और देवताओं को स्वर्ग से निकल दिया | देवताओं की कठोर विनती के बाद , माता पार्वती ने देवी चंडी का रूप धारण किया जो कि देखने में अतिसुन्दर थी | उनकी खूबसूरती देखने के पश्चात शुम्भ उनसे शादी करने के लिए इच्छुक हुआ |

शुम्भ के शादी के प्रस्ताव को ठुकराने पर उसे बहुत गुस्सा आया और उसने उन्हें मरने के लिए अपने दो असुर चंड और मुंड को भेजा | उन दोनों को माँ चामुंडा ने मार दिया जो चंडिका के क्रोध से उत्पन्न हुयी थी | इसके पश्चात शुम्भ और निशुम्भ दोनों ने ही देवी चंडिका को मारने कि कोशिश की थी बजाय इसका देवी ने इन दोनों दानवो को मृत्यु के घात उतार दिया | उनका संघार करने के बाद चंडिका ने बहुत छोटे से समय के लिए नील पर्वत के शिखर पर विश्राम किया और बाद में यहाँ एक मंदिर का निर्माण करवाया गया | पहाड़ पर स्थित दो चोटियों को शुम्भ और निशुम्भ कहा जाता है |

और यदि आप चंडी देवी मंदिर के साथ साथ हरिद्वार का इतिहास और हरिद्वार की मान्यताओं के बारे में जानना चाहते है तो निचे दिए गए लिंक में क्लिक करे |

Map of Chandi Devi Temple !! (चंडी देवी मंदिर !!)

चंडी देवी मंदिर , हरिद्वार में हर-की-पौड़ी से 4 कि.मी. की दुरी पर स्थित है | Google Map की सहायता से आप श्यामलाताल पहुँच सकते है |





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