Daksha Mahadev Temple , Haridwar !! (दक्ष महादेव मंदिर)

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में हरिद्वार जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर “Daksha Mahadev Temple , Haridwar !! (दक्ष महादेव मंदिर)” के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है , यदि आप दक्ष महादेव मंदिर के बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े |

Daksha Mahadev Temple , Haridwar !! (दक्ष महादेव मंदिर)




Daksh Mahadev Temple Haridwarदक्ष/ दक्षेश्वर महादेव मंदिर कनखल हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित है | यह बहुत ही पुराना मंदिर है , जो कि भगवान शिव को समर्पित है | यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 4 कि.मी. दूर स्थित है | इस मंदिर का निर्माण 1810 AD में रानी धनकौर ने करवाया था और 1962 में इसका पुननिर्माण किया गया | इस मंदिर को “दक्षेश्वर महादेव मंदिर” एवम् “दक्ष प्रजापति मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है | मंदिर के बीच में भगवान शिव जी की मूर्ति लैंगिक रूप में विराजित है | यह मंदिर भगवान शिव जी के भक्तो के लिए भक्ति और आस्था की एक पवित्र जगह है | भगवान शिव का यह मंदिर देवी सती (शिव जी की प्रथम पत्नी) के पिता राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर रखा गया है | इस मंदिर में भगवान विष्णु के पाँव के निशान बने (विराजित) है , जिन्हें देखने के लिए मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओ का ताँता लगा रहता है |

मंदिर का परिसर काफी बड़ा है , जिसमे शेर की बड़ी-बड़ी दो प्रतिमा स्थित है , जो कि मंदिर में आने वाले श्रधालुओ का स्वागत करती हुई प्रतीत होती है | मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव जी के वाहन “नंदी महाराज” विराजमान है | ऐसा कहा जाता है कि नंदी के कान में कही जाने वाली बात या मनोकामना जल्द ही शिव जी के कान में पहुँच जाती है और जल्दी ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है | राजा दक्ष के यज्ञ के बारे में वायु पुराण में भी उल्लेख है |

इस मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा है , जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस गड्ढे में देवी सती ने अपने जीवन का बलिदान दिया था | हर साल हिन्दू महीने के सावन में भक्त बड़ी संख्या में इस मंदिर में प्रार्थना करने आते है | दक्ष महादेव मंदिर के निकट गंगा के किनारे पर “दक्षा घाट” है , जहाँ शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन करके आनंद प्राप्त करते है | महाशिवरात्रि के दिन दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तो की भीड़ भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है |

Mythology of Daksha Mahadev Temple ! (दक्ष महादेव मंदिर की पौराणिक कथा)

कनखल को भगवान शिव जी का ससुराल माना जाता है क्यूंकि दक्षेश्वर महाराज की पुत्री (देवी सती) का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था एवम् दक्षेश्वर महाराज इसी स्थान में निवास किया करते थे | इस मंदिर के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है कि दक्षेश्वर महाराज ने एक बार एक यज्ञ आयोजित किया था और इस यज्ञ में सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था लेकिन दक्षेश्वर महाराज ने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया |

यह बात जानकर भगवान शिव की पत्नी सती को बेहद दुःख हुआ और उसी यज्ञ में आकर भगवान शिव की पत्नी सती ने अपना शरीर त्याग दिया | इस बात से वीरभद्र (जो कि भगवान शिव के गौत्र रूप माने जाते है) उन्होंने दक्षेश्वर महाराज का “सर” धड से अलग कर दिया | लेकिन भगवान शिव ने दक्षेश्वर महाराज को जीवन दान दिया और उन्होंने दक्षेश्वर महाराज के कटे हुए सर पर “बकरे का सर” लगा दिया और भगवान शिव ने दक्षेश्वर महाराज से यह वादा किया कि इस मंदिर का नाम हमेशा उनके नाम से जुड़ा रहेगा इसलिए इस मंदिर का नाम है “दक्षेश्वर महादेव मंदिर” |

और यदि आप पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित मंदिरों चंडी देवी मंदिर” , “मनसा देवी मंदिरऔरभारत माता मंदिरके बारे में जानना चाहते है तो निचे दिए गए लिंक में क्लिक करे |

Map of Daksha Mahadev Temple , Haridwar !! (दक्ष महादेव मंदिर)

दक्ष महादेव मंदिर कनखल हरिद्वार में स्थित है | यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 4 कि.मी. की दुरी पर स्थित है | निचे दिए गए Google Map की सहायता लेकर आप दक्ष महादेव मंदिर पहुँच सकते है |




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