‘दंडेश्वर महादेव मंदिर’ अल्मोड़ा ‘Dandeshwar Mahadev’ Temple Almora

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको “उत्तराखंड दर्शन” के इस पोस्ट में अल्मोड़ा जिले में स्थित “दंडेश्वर मंदिर Dandeshwar Mahadev Temple” के बारे में बताने वाले है यदि आप जानना चाहते हैं “दंडेश्वर मंदिर Dandeshwar Mahadev Temple” के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े|





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दंडेश्वर मंदिर के बारे में Dandeshwar Mahadev Temple

उत्तराखंड के प्रमुख देवस्थालो में जागेश्वर धाम या मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है | यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा मंदिर समूह है | यह मंदिर कुमाउं मंडल के अल्मोड़ा जिले से 38 किलोमीटर की दुरी पर देवदार के जंगलो के बीच में स्थित है | जागेश्वर को उत्तराखंड का पाँचवा धाम भी कहा जाता है | जागेश्वर मंदिर में 124 मंदिरों का समूह है | इनमे से दंडेश्वर मंदिर सबसे प्रमुख मंदिर माना जाता हैं| यह मंदिर जागेश्वर मंदिर परिसर से थोड़ा ऊपर की ओर स्थित है। दांडेश्वर मंदिर परिसर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है, जिसके कई अवशेष खंडहर में बदल गए हैं। यह स्थान अर्तोला गाँव से 200 मीटर की दूरी पर है जहाँ से जागेश्वर के मंदिर शुरू होते हैं इस जगह से विनायक क्षेत्र या पवित्र क्षेत्र शुरू होता है। यह स्थान झंकार साईं मंदिर, वृद्ध जागेश्वर और कोटेश्वर मंदिरों के बीच स्थित है। डंडेश्वर मंदिर जागेश्वर में स्थित है (जागेश्वर में 124 मंदिर समूह के बीच, दांडेश्वर उनमें से एक है। यह जागेश्वर मंदिर परिसर से थोड़ा ऊपर की ओर है।





दंडेश्वर मंदिर का इतिहास History Dandeshwar Mahadev Temple Almora

दंडेश्वर मंदिर परिसर मुख्य जागेश्वर मंदिर परिसर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ एक बड़ा मंदिर व 14 अधीनस्थ मंदिर हैं। वस्तुतः यही बड़ा मंदिर दंडेश्वर मंदिर है और इस क्षेत्र का सबसे ऊंचा और विशालतम मंदिर है। इन मंदिरों में कुछ, दंडेश्वर मंदिर के समीप ही एक चबूतरे पर स्थित हैं व कुछ इसके आसपास  हैं। इनमें कुछ मंदिरों के भीतर  शिवलिंग स्थापित हैं वहीं कुछ मंदिरों के भीतर चतुर्मुखलिंग स्थापित है।





भगवान् शिव यहाँ लिंग रुपी ना होते हुए, शिला के रूप में स्थापित हैं।  यहाँ के पंडित जी  ने  इस मंदिर से जुडी दंतकथा के बारे में बताया की भगवान् शिव यहाँ के जंगल में ध्यानमग्न समाधिस्थ थे। उनके रूप व नीले अंग को देख इन जंगलों में रहने वाले ऋषियों की पत्नियां उन पर मोहित हो गयीं। इस पर क्रोधित हो कर ऋषियों ने शिव को शिला में परिवर्तित कर दिया। इसलिए शिव यहाँ शिला रूप में स्थापित हैं। पहले सुनी दंतकथा का यह दूसरा संस्करण पुजारीजी ने हमें बताया।कहा जाता है मंदिर का नाम दंडेश्वर दण्ड शब्द से लिया गया है। दंडेश्वर  मंदिर में वर्ष भर भक्तो का तांता लगा रहता |

यहाँ तक कैसे पहुंचे How To Reach?

यहाँ तक आप आसानी से पहुँच सकते हैं|

जागेश्वर प्रमुख उत्तरी शहरों के साथ मोटर योग्य सड़कों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से अल्मोड़ा के लिए विभिन्न बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

ट्रेन- निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन हैं यहाँ से अल्मोड़ा की दूरी लगभग 82 किलोमीटर हैं यहाँ से आप आसानी से टैक्सी अथवा बस से जा सकते हैं |

हवाई अड्डा – निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा हैं यहाँ से अल्मोड़ा की दूरी लगभग 116 किलोमीटर है यहाँ से आप आसानी से टैक्सी अथवा बस से जा सकते हैं |

Googel Map Of Dandeshwar Mahadev Temple Almora






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