‘घिंगारू’ स्वादिष्टफल, (औषधीय गुणों से भरपूर फल के फायदे) Ghingharu Fruite Uttarakhand

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको “उत्तराखंड दर्शन” के इस पोस्ट में उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों से भरपूर  ‘घिंगारू’ फल के फायदे Ghingharu Fruite” के बारे में बताने वाले हैं यदि आप जानना चाहते हैं “घिंगारू फल के फायदे Ghingharu Fruite” के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े|





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‘घिंगारू’ औषधीय गुणों से भरपूर Ghingharu Fruite

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाने वाला घिंगारू औषधीय गुणों से भरपूर है| यह समुद्रतल से 3000 से 6500 फीट की ऊंचाई पर उगने वाला रोजसी कुल का बहुवर्षीय पौधा हैं| पर्वतीय क्षेत्र के जंगलो में पाया जाने वाला उपेक्षित घिंघारू ह्रदय को स्वस्थ रखने में सक्षम हैं| उसके इस गुण की खोज रक्षा जैव उर्जा अनुसंधान संस्थान पिथौरागढ़ ने किया हैं| घिंघारू के फलों के रस में रक्तचाप और हाईपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता हैं|





छोटी सी झाड़ियों में उगने वाला ‘घिंगारू’ एक जंगली फल है। यह सेव के आकार का लेकिन आकार में बहुत छोटा होता है, स्वाद में हल्का खट्टा-मीठा। बच्चे इसे छोटा सेव कहते हैं और बड़े चाव से खाते हैं। यह फल पाचन की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक फल है।

इस फल का प्रयोग भी औषधि के तौर पर किया जाता है, हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसकी गुणवता से अनजान हैं।‘घिंगारू’ पत्तियों से पहाडी हर्बल चाय बनायी जाती है ! इसके फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है ! इस वनस्पति से प्राप्त मजबूत लकड़ियों का इस्तेमाल लाठी या हॉकी स्टिक बनाने में किया जाता है! फलों में पर्याप्त मात्रा में शर्करा पायी जाती है जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है इस वनस्पति का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है जिससे दांत दर्द में भी लाभ मिलता है !

प्रोटीन के भरपूर घिंघारू पौधा Ghingharu Fruite 

घिंघारू का वन अनुसन्धान केंद्र ने अपनी नर्सरी में सफल संरक्षण किया है| पेड़ पर फल व फूल दोनों आ चुके है| घिंघारू में प्रोटीन की काफी मात्रा होती है| इसके औषधीय गुणों को पता करने के लिए रिसर्च भी किया जायगा|

इस पौधे का वैज्ञानिक नाम पैइराकैंथ क्रेनुलारा है| झाड़ीनुमा यह प्रजाति पूर्वी एशिया के पर्वतीय इलाकों में पाई जाती है| कुमाऊँ में इसके पौधे काफी मात्रा में पाए जाते है|संरक्षण को लेकर कुछ समय पूर्व वन अनुसंधान केंद्र ने नर्सरी में कवायत शुरू की थी| इसके फलों का सेवन वन्य जीवों से लेकर आम लोग भी चाव से खाते हैं| बारिश के दिनों में छोटे मवेशियों का यह मुख्य आहार माना जाता है| घिंघारू की लकड़ी कृषि यंत्र बनाने में काम आता हैं इसकी लकड़ी काफी मजबूत मानी जाती हैं|





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