उत्तराखंड : हिसालू के गुण (हिमालय की रास्पबेरी !!) (Hisalu – Himalaya Raspberry !!)
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन कि इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य में पाए जाने “रसबेर्री” यानी कि “हिसालू (हिमालय रसबेर्री)” के बारे में जानकारी देने वाले हैं , यदि आप उत्तराखंड आते है तो “हिसालू (हिमालय रसबेर्री)” का स्वाद जरुर ले | अब आगे हम आपको “हिसालू (हिमालय रसबेर्री)”कहाँ पायी जाती हैं और क्या होती है एवम् इसके गुण से सम्बंधित सारी बातें पोस्ट में बताने वाले हैं | यदि आप यह सारी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं , तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े !
हिसालू – हिमालय रास्पबेरी !! (Hisalu – Himalaya Raspberry !! )
“हिसालू” , उत्तराखंड का अद्वितीय और बहुत स्वादिष्ट फल है । यह पहाड़ी क्षेत्र में मुख्य रूप से अल्मोड़ा, नैनीताल और अन्य स्थानों में पाया जाता है , जो कि उच्च ऊंचाई में स्थित हैं। हिसालु जेठ-असाड़(मई-जून) के महीने में पहाड़ की रूखी-सूखी धरती पर छोटी झाड़ियों में उगने वाला एक जंगली रसदार फल है | पहाड़ी महीन “जेठ” में पकने वाले इस फल को कुछ स्थानों पर “हिंसर” या “हिंसरु” के नाम से भी जाना जाता है | इसे हिमालय की रास्पबेरी के नाम से भी जाना जाता है | इसका लेटिन नाम Rubus elipticus है , जो कि Rosaceae कुल की झाडीनुमा वनस्पति है | हिसालू के दो प्रकार पाए जाते हैं, एक पीला रंग होता है और दूसरा काला रंग होता है । पीले रंग का हिसालू आम है लेकिन काले रंग का हिसालू इतना आम नहीं है । हिसालू में खट्टा और मीठे स्वाद होता है । एक अच्छी तरह से पके हुए हिसालू को अधिक मीठा और कम खट्टा स्वाद मिलता है । यह फल इतना कोमल होता है कि हाथ में पकडते ही टूट जाता है एवम् जीभ में रखो तो पिघलने लगता है | हिसालू फल ने कुमाऊ के लोकगीतों में एक ख़ास जगह बनाई हैं | कुमाउनी गीतों में हिसालू फल के रसीले स्वाद का वर्णन किया जाता है एवम् पहाड़ो में इस फल के आगमन के समय लोक में ख़ुशी की झलक दिखाई देती है | इस फल को ज्यादा समय तक संभाल के नहीं रखा जा सकता है क्युंकी हिसालू फल को तोड़ने के 1-2 घंटे बाद ही खराब हो जाता है | यह फल सिर्फ उत्तराखंड के अल्मोड़ा, नैनीताल और अन्य स्थानों में मिलता है और इस फल को अल्मोड़ा, नैनीताल और अन्य स्थानों के पहाडी क्षेत्र के लोगों द्वारा लाया जाता हैं | यह मार्च और अप्रैल के महीने में एक जंगली फल और पके हुए है।
प्रसिद्ध कवि गुमानी पन्त के द्वारा कुमाउनी फल “हिसालू” के सम्बन्ध में यह में कहा गया हैं !!
हिसालू की जात बड़ी रिसालू , जाँ जाँ जाँछे उधेड़ि खाँछे |
यो बात को क्वे गटो नी माननो, दुद्याल की लात सौणी पड़ंछ |
यानी हिसालू की नस्ल बड़ी नाराजगी भरा है , जहां-जहां जाता है, बुरी तरह खरोंच देता है, तो भी कोइ इस बात का बुरा नहीं मानता, क्योंकि दूध देने वाली गाय की लातें खानी ही पड़ती हैं |
Benefits of Hisalu in Health !! (स्वास्थ्य में हिसालू के लाभ !!)
- हिसालू फलों में प्रचुर मात्र में एंटी ऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा होने की वजह से यह फल शरीर के लिए काफी गुणकारी माना जाता है |
- इस फलो की जड़ों को बिच्छुघास (Indian stinging nettle) की जड़ एवं जरुल (Lagerstroemia parviflora) की छाल के साथ कूटकर काढा बनाकर बुखार की स्थिति में रामबाण दवा है |
- हिसालू फलो की ताजी जड़ से प्राप्त रस का प्रयोग करने से पेट सम्बंधित बीमारियों दूर हो जाती है एवम् इसकी पत्तियों की ताज़ी कोपलों को ब्राह्मी की पत्तियों एवं दूर्वा (Cynodon dactylon) के साथ मिलाकर स्वरस निकालकर पेप्टिक अल्सर की चिकित्सा की जाती है |
- इसके फलों से प्राप्त रस का प्रयोग बुखार,पेट दर्द,खांसी एवं गले के दर्द में बड़ा ही फायदेमंद होता है |
- इसकी छाल का प्रयोग तिब्बती चिकित्सा पद्धतिमें भी सुगन्धित एवं कामोत्तेजक प्रभाव के लिए किया जाता है |
- हिसालू फल के नियमित उपयोग से किडनी-टोनिक के रूप में भी किया जाता है एवम् साथ ही साथ नाडी-दौर्बल्य , अत्यधिक है |
- मूत्र आना (पोली-यूरिया ) , योनि-स्राव,शुक्र-क्षय एवं शय्या-मूत्र ( बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करना ) आदि की चिकित्सा में भी किया जाता है |
- हिसालू जैसी वनस्पति को सरंक्षित किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए इसे आई.यू.सी.एन . द्वारा वर्ल्ड्स हंड्रेड वर्स्ट इनवेसिव स्पेसीज की लिस्ट में शामिल किया गया है एवम् इसके फलों से प्राप्त एक्सट्रेक्ट में एंटी-डायबेटिक प्रभाव भी देखे गए हैं |
उम्मीद करते है कि आपको ” उत्तराखंड : हिसालू के गुण (हिमालय की रसबेरी !!) (Hisalu – Himalaya Raspberry !!) ” के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा |
यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई तो हमारे फेसबुक पेज को LIKE और SHARE जरुर करे |
उत्तराखंड के विभिन्न स्थल एवम् स्थान का इतिहास एवम् संस्कृति आदि के बारे मे जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारा YOUTUBE CHANNEL जरुर SUBSCRIBE करे |