मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये ! (History and Mythological Beliefs of Mukteshwer Mahadev Temple)
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में नैनीताल जिले में स्थित ” मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये “ के बारे में वर्णन करने वाले है , इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े |
यदि आप उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में घूमने के लिए आते है तो आपको ” नैनीताल के 10 आकर्षण स्थल “ भी जरुर देखने चाहिए | नैनीताल में स्थित प्रसिद्ध ” नैना देवी मंदिर “ के दर्शन भी करने चाहिए , दर्शन करने से आपकी मनोकामना पूरी हो जायेगी |
History of Mukteshwer Mahadev Temple ! ( मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास )
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर के सर्वोच्च बिंदु के ऊपर स्थित है । यह मंदिर “मुक्तेश्वर धाम या मुक्तेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है । मंदिर में प्रवेश करने के लिए पत्थर की सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है और यह मंदिर समुद्र तल से 2315 मीटर की ऊँचाई पर कुमाऊं पहाड़ियों में है । मुक्तेश्वर का नाम 350 साल पुराने शिव के नाम से आता है , जिसे मुक्तेश्वर धाम के रूप में जाना जाता है , जो शहर में सबसे ऊपर , सबसे ऊंचा स्थान है। मंदिर के निकट “चौली की जाली” नामक एक चट्टान है |
पुराणों में शालीनता के रूप में, यह भगवान शिव के अठारह मुख्य मंदिरों में से एक है | यहाँ एक पहाड़ी के ऊपर शिवजी का मन्दिर है जो की 2315 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
यह मंदिर ‘मुक्तेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं | मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में एक तांबा योनि के साथ एक सफेद संगमरमर का शिवलिंग है । शिवलिंग को ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान, गणेश और नंदी की मूर्तियों से घिरा हुआ है । इस स्थान में आकर भक्तो को आत्मिक और मानसिक शान्ति प्राप्त होती है | यहां इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है जहां जानवरों पर रिसर्च की जाती है । ये इंस्टीट्यूट सन् 1893 में बनवाया गया था । यहां एक म्यूजियम और लाइब्रेरी भी है जहां जानवरों पर रिसर्च से संबंधित पुराने समय का समान और किताबें सुरक्षित रखी गई हैं । यहां सामने नजर आती हैं शिव की पत्नी, हिमालय पुत्री पार्वती स्वरूप ‘नंदादेवी’ से लेकर शिव के प्रिय ‘त्रिशूल’ और पांडवों से संबंधित इतिहास रखे‘पंचाचूली’की चोटियां , ऐसा लगता है मानो शिव भी यहां लेटकर अपने प्रिय स्थानों के दर्शन कर रहे हो । ( मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये )
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में स्थित “चौली की जाली” की पौराणिक मान्यताये !
चौली की जाली नामक स्थान (चट्टान) तक पहुँचने के लिए सिर्फ 4 मिनट का समय लगता है |
1. मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यह कहते हैं कि शिव अक्सर इस स्थान में तपस्या में लीन रहते थे। एक बार यहां मंदिर के निकट स्थित “चौली की जाली” के निकट शिव के तपस्या में होने के दौरान जागेश्वर के निकट जागेश्वर धाम की यात्रा पर निकले बाबा गोरखनाथ का मार्ग रुक गया था , इस पर उन्होंने विशाल चट्टानों पर अपने गंडासे से वार कर एक छेद का निर्माण कर दिया, और यात्रा पर आगे बढ़ गए । अब विधि-विधान, पूजा-अर्चना के साथ इस छिद्र से आर-पार होने पर महिलाओं को शर्तिया होती है अर्थात “पुत्र रत्न की प्राप्ति” ।( मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये )
2. चौली की जाली चट्टान की यह मान्यता है कि यदि शिवरात्रि के दिन संतान सुख की कामना के साथ कोई महिला इस पत्थर पर बने छेद को पार करती है तो उसे अवश्य ही संतान सुख मिलता है । एक स्थानीय महिला ने बताया की विवाह के आठ साल बीतने के बाद भी उसे संतान सुख नहीं मिला। गांव की ही एक अन्य महिला के कहने पर उसने शिवरात्रि के एक दिन पूर्व मुक्तेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा अर्चना कराई और शिवरात्रि के दिन “चौली की जाली” में पहुंचकर सच्चे मन से संतान प्राप्ति की कामना करते हुए पत्थर पर बने छेद को पार किया । वर्तमान समय में वह औरत दो संतानों का सुख भोग रही हैं । उन्होंने कहा कि भोले बाबा की कृपा ने जिंदगी में एक नहीं दो-दो संतानों का सुख दिया। ( मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये )
How to reach Mukteshwer Mahadev Temple ? (मुक्तेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुँचे ?)
By Air :- मुक्तेश्वर महादेव मंदिर , पंतनगर से 100 किमी दूर निकटतम हवाई अड्डा है , जबकि नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे या पालम हवाई अड्डे निकटतम अंतर्राष्ट्रीय / राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैं |
By Rail :- मुक्तेश्वर महादेव मंदिर काठगोदाम से करीब 72 किमी दूर का निकटतम रेलवे स्टेशन है । यह रेलवे स्टेशन से मुक्तेश्वर तक 2 घंटे की ड्राइव है |
By Road:- आप सड़क से नैनीताल (51 किमी) या हल्द्वानी (72 किमी) से मुक्तेश्वर पहुंच सकते हैं। नैनीताल के माध्यम से धनाचुली और भवाली के रास्ते में लुभावने दृश्यावली और दृश्यों की सुन्दरता आपके होश उड़ा सकती है | ( मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये )
उम्मीद करते है कि आपको “मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवम् मान्यताये ” के बारे में पढ़कर आपको आनंद आया होगा |
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360 degree Images of Mukteshwer Mahadev temple
View of Inside Mukteshwer Mahadev Temple
View of Mukteshwer Mahadev Temple