Top 10 Best And Awesome Places to Visit in Pithoragarh !!

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड दर्शन की इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित 10 प्रसिद्ध एवम् आकर्षक स्थलों अर्थात ( Top 10 Best and Awesome Places to visit in Pithoragarh !! ) के  बारे में पूरी जानकारी देने वाले है | यदि आप  पिथौरागढ़ जिले में स्थित 10 प्रसिद्ध एवम् आकर्षक स्थलों के बारे में पूरी जानकारी जानना चाहते है , तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े | लेकिन पिथौरागढ़ जिले के  10 आकर्षक स्थलों के बारे में बताने से पहले हम थोड़ी की जानकारी आपको पिथौरागढ़ हिलस्टेशन के बारे में भी बताने वाले हैं !!



Pithoragarh – A Hillstation in Uttarakhand !!

hillstation-pithoragarhपिथौरागढ़ , देवभूमि उत्तराखंड राज्य का एक नगर है , जो कि उत्तराखंड राज्य के पूर्व में स्थित सिमांतर जनपद है | इस जिले के उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में अल्मोड़ा, एवं उत्तर-पश्चिम में चमोली ज़िले पड़ते हैं |पिथौरागढ़ का पुराना नाम “सोरघाटी” है ।  सोर शब्द का अर्थ होता है-– सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे । सरोवर में पानी सूखने से इस स्थान में पठारी भूमि का जन्म हुआ | जिससे इस जगह का नाम “पिथोरा गढ़” पडा और यह भी माना जाता है कि मुगलों के शासन काल में उनकी भाषा की दिक्कतों के चलते इसका नाम “पिथौरागढ़ पड़ गया |

Top 10 Best And Awesome Places to Visit in Pithoragarh !!

Gangolihat

गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक एक छोटा हिमालय पर्वतीय शहर है | यह पर्वतीय शहर ऊँची-ऊँची चोटियो , प्राकृतिक सौन्दर्यता और देवदार के घने जंगलो से घिरा हुआ है | गंगोलीहाट देवी काली के हट कालिका शक्तिपीठ के लिए प्रसिद्ध है | यह पर्वतीय शहर पिथौरागढ़ जिले से 78 km की दुरी पर स्थित है | यह क्षेत्र “सरयू” और “रामगंगा” नाम की दो नदियों से घिरा हुआ है , जो कि इस क्षेत्र की चोटी पर घाट पर मिलते है | इन दोनों नदियों की वजह से इस क्षेत्र का नाम पड़ा है एवम् Gang (स्थानीय बोली में नदी) + Awali (माला) से मिलकर (Gangawali) बना , जो कि बाद में (Gangoli) नाम से जाना जाने लगा | और Hat शब्द का उपयोग स्थानीय लोगो के लिए मुख्य बाज़ार / सभा स्थान के लिए किया गया | जिससे कि (Gangoli + Hat) शब्द के कारण इस क्षेत्र का नाम (Gangolihat , गंगोलीहाट) रखा गया |

Munsiyari

मुनस्यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है , जो कि पिथौरागढ़ का एक सीमांत क्षेत्र है जिसके एक तरफ तिब्बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा लगा हुआ है | यह स्थल मुख्य शहर पिथौरागढ़ से 128 km की दुरी पर स्थित है | मुनि का सेरा अर्थात तपस्वियों का तपस्थल होने के कारण इसका नाम “मुनस्यारी” पड़ा | मुनस्यारी उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत की तलहटी पर स्थित एक छोटा सा हिल स्टेशन है | यह छोटा-सा शहर पिथौरागढ़ जिले में सबसे सुखद मौसम के लिए जाना जाता है | इस हिलस्टेशन का एक प्रमुख हिस्सा बर्फ की मोटी परत के साथ ढका हुआ है | इस हिलस्टेशन को “मिनी कश्मीर” के नाम से भी जाना जाता है एवम् यह जगह मिल्लम, रलाम और नमोइक ग्लेशियरों का आधार है। मुनस्यारी तिब्बत का एक प्राचीन नमक मार्ग भी था | इस क्षेत्र के अधिकतर लोग शौका समुदाय का हिस्सा है , जिन्हें अकसर भोटियास के रूप में जाना जाता है |

Askot Sanctuary

अस्कोट अभयारण्य एक प्रसिद्ध अभयारण्य है जो कि पिथौरागढ़ शहर से लगभग 54 किलोमीटर दूर स्थित है और यह अभयारण्य समुद्र तल से 5412 फीट की ऊंचाई पर स्थित है । अस्कोट अभयारण्य में 284 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को शामिल किया गया है । यह सुंदर पर्यटक गंतव्य वन्यजीव उत्साही और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है । अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य 1986 में कस्तूरी हिरण और इसके आवास के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया गया था | यद्यपि कस्तूरी हिरण अभयारण्य में महत्वपूर्ण संख्या में मौजूद हैं, लेकिन उन्हें एक और लुप्तप्राय प्रजातियां हैं क्योंकि वे एक लुप्तप्राय प्रजाति हैं।यह खूबसूरत जगह हिम तेंदुए , हिमालयी काले भालू , कस्तूरी हिरण, बर्फ के लंड, ताहर, भरल, चिर, कोक्ला, फीसेंट और चोकर्स के लिए एक स्वर्ग है | अस्कोट अभयारण्य जड़ी बूटियों, झाड़ियों, पेड़ों और पर्वतारोहियों के लिए एक बड़े संग्रह के रूप में आशीर्वाद हैं |

Narayan Ashram

नारायण आश्रम पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्रसिद्ध एवम् लोकप्रिय धार्मिक स्थान हैं , जो कि समुन्द्र ताल से लगभग 2734 फीट की ऊँचाई पर सोसा नामक क्षेत्र में स्थित हैं | नारायण आश्रम पिथौरागढ़ शहर से 116 किलीमीटर की दुरी पर स्थित हैं | इस आश्रम को स्थानीय तौर पर “बंगबा” या “चौदास” भी कहा जाता है | इस आश्रम को 1936 में एक साधू एवम् सामाजिक कार्यकर्ता “नारायण स्वामी” के द्वारा स्थापित किया गया | नारायण आश्रम के लिए जमीन “सोसा” के स्वर्गीय कुशाल सिंह हयांकी ने स्वामी जी को दे दी थी और सोसा के लोगो से आसपास के कुछ भूखंडो को ख़रीदा गया था | इस आश्रम से कुछ ही दुरी पर तवाघाट नाम स्थान पर धौलीगंगा और कालीगंगा नदी का संगम होता है | नारायण आश्रम की मुख्य इमारत के अन्दर एक मंदिर है , जो कि तीर्थयात्रियों या आगुन्तको को श्रधांजलि अर्पित करने के लिए है |

Dhwaj Temple

पिथौरागढ़ जिले के मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर सतराज नामक जगह से 4 किमी दूर हिमराज के गोद में स्थित “धवज मंदिर” पहाड़ की चोटी पर शिखर पर स्थित है । डीडीहाट मार्ग पर पिथौरागढ़ से 18 किमी. की दूरी पर “टोटानौला” नाम स्थल है । इस स्थल से 3 किमी. लम्बी कठिन चढ़ाई चढ़ने पर यह प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है । “ध्वज मंदिर” पिथौरागढ़ के पास स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है । यह मंदिर समुद्री तल 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | यह मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और साथ ही साथ यह मंदिर देवी जयंती माता को समर्पित है जो स्थानीय लोगों द्वारा पूजी जाती हैं । मुख्य मंदिर से 200 फुट नीचे भगवान शिव का एक गुफा मंदिर स्थित है । इस मंदिर के बारे में यह किंवदंती यह है कि जो कहती है कि शिव के नाम पर इस स्थान का नाम “धवजा” रखा गया था और यह ‘कपड़ी’ कबीले के पूर्वजों द्वारा नामित किया गया था |

Thalkedar Temple

थलकेदार पहाड़ी के किनारे पर स्थित भगवान शिव का पवित्र मंदिर है , जिसे थलकेदार शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है | यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल एवम् प्रसिद्ध मंदिर है , जो कि पिथौरागढ़ से लगभग 16 किमी कि दुरी पर स्थित है । यह मंदिर बहुत प्राचीन और अद्भत मंदिर है और साथ ही साथ थलकेदार मंदिर विश्वास, आस्था और भक्ति का केंद्र भी है | थलकेदार शिव मंदिर समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । यह धार्मिक स्थान अपने शिवलिंग के लिए सबसे प्रसिद्ध है , जिसे 1000 मिलियन वर्ष पुराना माना जाता है । थलकेदार शिव मंदिर से 700 किमी की दुरी तक अत्यधिक सुंदर हिमपातित पहाड़ों को देखा जा सकता है , जिसमें बद्रीनाथ, त्रिशूल, नंददेवी, पंच-चाउली और एपी-नम्पा शामिल हैं । महाशिवरात्री के अवसर पर हर साल मंदिर में बड़े मेले का आयोजन होता है जो कि बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है ।




Nakuleshwar Temple

नकुलेश्वर मंदिर एक विख्यात धार्मिक स्थल अर्थात मंदिर है , जो की पिथौरागढ़ शहर से 4 किमी दूर तथा शिलिंग गांव से 2 किमी दूर स्थित है । ‘नकुलेश्वर’ शब्द “नकुल” और “ईश्वर” दो शब्दों का मेल है। महिषासुर मर्दिनी की “नकुल” की मूर्ति शक्तिशाली हिमालय से सम्बंधित है , तथा ईश्वर शब्द ‘भगवान’ के लिए प्रयुक्त किया गया है इसलिए पूर्ण रूप से यह मंदिर हिमालय के देवता भगवान शिव की ओर संकेत करता है । कहावत के अनुसार , हिंदू महाकाव्य महाभारत के दो पौराणिक चरित्रों पांडवों अर्थात् नकुल और सहदेव ने इस मंदिर का निर्माण किया गया था । किदवंतियो के अनुसार महाभारत के समय में युद्ध के दौरान पांडवो के चौथे नंबर के भाई नकुल इस स्थान पर अपनी छावनी सहित ठहरे थे | उन्होंने इस मंदिर में स्थित “शिवलिंग” कि स्थापना की थी |

Patal Bhuvneshwar

पाताल भुवनेश्वर मंदिर पिथौरागढ़ जनपद उत्तराखंड राज्य का प्रमुख पर्यटक केन्द्र है । उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है | पाताल भुवनेश्वर देवदार के घने जंगलों के बीच अनेक भूमिगत गुफ़ाओं का संग्रह है | जिसमें से एक बड़ी गुफ़ा के अंदर शंकर जी का मंदिर स्थापित है । पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है।यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है । पाताल भुवनेश्वर की मान्यताओं के मुताबिक, इसकी खोज आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने की थी । पाताल भुवनेश्वर गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन भी होते हैं । पाताल भुवनेश्वर मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं ने अपना निवास स्थान बना रखा है।

Arjuneshwar Temple

अर्जुनेश्वर मंदिर पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्रसिद्ध एवम् लोकप्रिय मंदिर हैं , जो कि भगवान शिव को समर्पित हैं | इस मंदिर के निर्माण के बारे में यह माना जाता हैं कि अर्जुन द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था जो कि पांडवो में एक बेहतरीन तीरंदाज़ थे | यह धार्मिक स्थल या मंदिर समुन्द्रतल से 6000 फीट ऊपर स्थित हैं | इस मंदिर के आसपास अन्य आकर्षण के केंद्र स्थित हैं जैसी कि मंदिर और शिवालय, शिव, हनुमान, चटकाकेश्वर, गुरना देव और लगीरा देवी | इस धार्मिक स्थान में आकर स्थानीय देवताओं को समर्पित मंदिरों का दौरा भी किया जा सकता हैं | उनमें से कुछ गंगनाथ, भुमिया, एयरी, चतु, बदन, हरू, बलचन, चुरमल, गैबिला और चिप्ला मंदिर हैं । इनमें से कुछ विशिष्ट परिवारों, कास्ट और क्षेत्रों तक ही सीमित हैं |

Kapileshwar Mahadev Temple

कपिलेश्वर महादेव मंदिर टकौरा एवं टकारी गांवों के ऊपर “सोर घाटी” यानी “पिथौरागढ़ शहर” में स्थित एक विख्यात मंदिर है । कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ के ऐंचोली ग्राम के ऊपर एक रमणीक पहाड़ी पर स्थित है । 10 मीटर गहरी गुफा में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है । एक पौराणिक कहावत के अनुसार , इस स्थान पर भगवान विष्णु के अवतार महर्षि कपिल मुनि ने तपस्या की थी इसीलिए इसे “कपिलेश्वर” के नाम से जाना गया । मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 200 से अधिक सीढ़ियों तक चढ़ना पड़ता है | इस गुफा के भीतर एक चट्टान पर शिव , सूर्य व शिवलिंग की आकृतियाँ मौजूद हैं । यह मंदिर शहर से केवल 3 किमी दूर है तथा यह मंदिर हिमालय पर्वतमाला का लुभावना दृश्य प्रस्तुत करता है । शिवरात्रि के दिन इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन और रात्रि में जागरण किया जाता है ।





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